Hindi Kavya Evam Katha Sahitya
Offered By: Devi Ahilya Viswavidyalaya, Indore via Swayam
Course Description
Overview
हिंदी साहित्य की विकास यात्रा में गद्य एवं पद्य की विविध विधात्मक धाराओं में प्रत्येक काल अपनी विषेशताओं के साथ अपने समृद्ध कलेवर एवं अन्यान्य हस्ताक्षरों के साथ न केवल साहित्य समृद्ध करता है अपितु हर एक काल के साहित्य अध्ययन से सरलतापूर्वक युगीन दृष्टि भी प्राप्त की जा सकती है।
हिंदी काव्य में प्राचीन भक्तिकाल की कविताओं में कृष्ण भक्ति धारा की महत्ता अपना अलग स्थान रखती है। विद्यापति ने चैदहवीं, पन्द्रहवीं शताब्दी में राधाकृष्ण प्रेम की बेहद सरल, सरस, कोमल संकल्पना कर न केवल बिहार, बंगाल अपितु सम्पूर्ण हिंदी क्षेत्र में असाधारण लोकप्रियता प्राप्त की। विद्यापति की कविताओं की व्याख्यात्मक एवं आलोचनात्मक विवेचना इस विषय का प्रथम सोपान है।
हिंदी काव्य इतिहास में रीतिकाल एक और महत्वपूर्ण पड़ाव है। इस साहित्य के रचनाकाल की सम्पूर्ण अवधि में देश में भी कई उतार-चढ़ाव आये। तत्कालीन विशेष के सामाजिकों की अभिरूचि, उसकी छाप भी इस काल के साहित्य पर स्पष्ट दिखती है। इसी परिप्रेक्ष्य में रीतिमुक्त काव्यधारा के विकास में घनानंद प्रमुख कवि हैं।
आधुनिक कविता में 'छायावाद' काल वस्तुतः देश के लिए अपनी पहचान, अपनी अस्मिता की खोज का युग रहा है। सामाजिक, राजनैतिक इतिहास की पृष्ठभूमि पर इस काल के काव्य एवं कवियों का अध्ययन मूलतः भारतीय जीवन के विकास के अत्यंत महत्वपूर्ण पड़ाव के प्रति समझ पैदा करने में सहायक सिद्ध होता है। इसी परिप्रेक्ष्य में महाप्राण, क्रांतिकारी कवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सुमित्रा नंदन पंत आदि कवियों की विविध भाव बोध से सम्पृक्त कविताओं का अध्ययन अत्यावश्यक है। मध्यवर्गीय समाज के सत्य से जुड़कर छायावादोन्तर काल में, साधन के रूप में कविता के क्षेत्र में किये गये प्रयोगों के लिए 'अज्ञेय' की कविताओं का अध्ययन भी आवश्यक है।यह विषय हिंदी भाषा एवं साहित्य के समृद्ध लेखन पर विहंगम दृष्टि डाल कर साहित्यिक अभिरूचि का परिष्कार कर सकेगा।
हिंदी काव्य में प्राचीन भक्तिकाल की कविताओं में कृष्ण भक्ति धारा की महत्ता अपना अलग स्थान रखती है। विद्यापति ने चैदहवीं, पन्द्रहवीं शताब्दी में राधाकृष्ण प्रेम की बेहद सरल, सरस, कोमल संकल्पना कर न केवल बिहार, बंगाल अपितु सम्पूर्ण हिंदी क्षेत्र में असाधारण लोकप्रियता प्राप्त की। विद्यापति की कविताओं की व्याख्यात्मक एवं आलोचनात्मक विवेचना इस विषय का प्रथम सोपान है।
हिंदी काव्य इतिहास में रीतिकाल एक और महत्वपूर्ण पड़ाव है। इस साहित्य के रचनाकाल की सम्पूर्ण अवधि में देश में भी कई उतार-चढ़ाव आये। तत्कालीन विशेष के सामाजिकों की अभिरूचि, उसकी छाप भी इस काल के साहित्य पर स्पष्ट दिखती है। इसी परिप्रेक्ष्य में रीतिमुक्त काव्यधारा के विकास में घनानंद प्रमुख कवि हैं।
आधुनिक कविता में 'छायावाद' काल वस्तुतः देश के लिए अपनी पहचान, अपनी अस्मिता की खोज का युग रहा है। सामाजिक, राजनैतिक इतिहास की पृष्ठभूमि पर इस काल के काव्य एवं कवियों का अध्ययन मूलतः भारतीय जीवन के विकास के अत्यंत महत्वपूर्ण पड़ाव के प्रति समझ पैदा करने में सहायक सिद्ध होता है। इसी परिप्रेक्ष्य में महाप्राण, क्रांतिकारी कवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सुमित्रा नंदन पंत आदि कवियों की विविध भाव बोध से सम्पृक्त कविताओं का अध्ययन अत्यावश्यक है। मध्यवर्गीय समाज के सत्य से जुड़कर छायावादोन्तर काल में, साधन के रूप में कविता के क्षेत्र में किये गये प्रयोगों के लिए 'अज्ञेय' की कविताओं का अध्ययन भी आवश्यक है।यह विषय हिंदी भाषा एवं साहित्य के समृद्ध लेखन पर विहंगम दृष्टि डाल कर साहित्यिक अभिरूचि का परिष्कार कर सकेगा।
Syllabus
COURSE LAYOUT
Weeks Weekly Lecture TopicsWeek 1 Lecture 1: मध्ययुगीन भक्ति काव्य Lecture 2: कवि विद्यापति, भाग-1 Lecture 3: कवि विद्यापति, भाग-2 Lecture 4: कवि विद्यापति, भाग-3Week 2 Lecture 5: कवि घनानंद, भाग–1 Lecture 6: कवि घनानंद, भाग-2 Lecture 7: कवि घनानंद, भाग–3 Lecture 8: महाप्राण ‘निराला’
Week 3 Lecture 9: युगकवि निराला Lecture 10: भारत वंदना - सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Lecture 11: मैथिली शरणगुप्त एवं हिन्दी साहित्य
Week 4 Lecture 12: महीयसी महादेवी वर्मा Lecture 13: कविवर सुमित्रा नंदन पंत Lecture 14: अज्ञेय और उनकी कविता
Week 5 Lecture 15: अज्ञेय: हरी घास पर क्षण भर एवं अरे यायावर रहेगा याद Lecture 16: अज्ञेय: कलगी बाजरे की - बावरा अहेरी - यह दीप अकेला Lecture 17: महाकवि: जय शंकर प्रसाद
Week 6 Lecture 18: जयशंकर प्रसाद एवं उनकी कविताएँ Lecture 19: ‘स्वतंत्रता पुकारती’ - जयशंकर ’प्रसाद’ Lecture 20: आँसू जयशंकर प्रसाद, भाग – 1 Lecture 21: आँसू जयशंकर प्रसाद, भाग - 2
Week 7 Lecture 22: जयशंकर प्रसाद "प्रलय की छाया", भाग-1 Lecture 23: जयशंकर प्रसाद "प्रलय की छाया", भाग–2 Lecture 24: जयशंकर प्रसाद "प्रलय की छाया", भाग-3 Lecture 25: प्रेमचंद जीवन और साहित्य Lecture 26: कथाकार – कमलेश्वर
Week 8 Lecture 27: कथाकार - रांगेय राघव Lecture 28: कहानीकार यशपाल Lecture 29: देवी रूपा मानवी, नारी पत्रों से मोहन राकेश की नाट्य यात्रा Lecture 30: रंगकर्मी - हबीब तनवीर
Week 9 Lecture 31: मांडव (यात्रा वृत्तांत) Lecture 32: कालजयी अवधुत शिरीष वृक्ष
Week 10 Lecture 33: साहित्यीक रेखा चित्र- बिच्छी बुआ Lecture 34: फिल्टर तो चाहिए ही -निबंध विद्या Lecture 35: पर्यावरण- एक चिंतन
Week 11 Lecture 36: जीवनः उद्भव और विकास Lecture 37: जनजातीय जीवन, परिचय भाग-1 Lecture 38: जनजातीय जीवन, परिचय भाग-2
Week 12 Lecture 39: भोलाराम का जीव Lecture 40: मंत्र (कहानी): मुशी प्रेमचंद Lecture 41: आँगन का पंछी: निंबंध पं.विद्यानिवास मिश्र
Taught by
Dr. Jayshri Bansal
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